RU: इमरजेंसी में स्पेशल बच्चों के पास राइटर बदलने का राइट ही नहीं

राजस्थान यूनिवर्सिटी में स्पेशल स्टूडेंट्स का कॅरियर बनाने के लिए बनी राइटर पॉलिसी स्टूडेंट्स के लिए सबसे बड़ी रुकावट बन गई है। स्टूडेंट्स के पास इमरजेंसी में राइटर बदलने का कोई राइट नहीं है। स्टूडेंट्स को एक ही राइटर के साथ हर वर्ष सभी एग्जाम देने होते हैं।

इस दौरान किसी इमरजेंसी के कारण राइटर के नहीं आने पर स्टूडेंट्स एग्जाम ही नहीं दे पाते है। इससे कई स्टूडेंट्स का कॅरियर खराब हो रहा है। वहीं सीबीएसई में स्पेशल स्टूडेंट्स के पास राइटर के चयन और राइटर बदलने के राइट मिलते है। एक्सपर्ट की माने तो यूनिवर्सिटी में स्पेशल स्टूडेंट्स के लिए बनाए राइटर निमयों में संशोधन की जरूरत है।

एग्जाम नहीं दे पाया
आरयू में पढ़ रहे विजुअली इंपेयरड स्टूडेंट अशोक जांगिड़ ने बताया कि विवि में राइटर की प्रॉब्लम से कई बार एग्जाम ही नहीं दे पाते है। बीए फस्र्ट ईयर में इंग्लिश के एग्जाम के दौरान इमरजेंसी के कारण मेरा राइटर नहीं आ पाया और मैं पेपर नहीं दे पाया।

कई सवाल भी छूट गए
दिव्यांग तपस्वी ने बताया कि सेरीब्रल पॉल्सी के कारण बॉडी क न्डीशन स्टिफ है। एग्जाम में राइटर की जरूरत पड़ती है। राइटर जूनियर और अलग सब्जेक्ट के होने के चलते आट्र्स सब्जेक्ट के राइटर को साइंस की टर्म समझ नहीं आती और कई सवाल छूट जाते हैं।

लैपटॉप की परमिशन नहीं
राजस्थान लॉ कॉलेज में पढ़ रहे विजुअली इंपेयरड स्टूडेंट सिद्धार्थ ने बताया कि इंटरनल एग्जाम में लैपटॉप की परमिशन मिलती है, लेकिन एक्सटरनल में राइटर ही यूज करना पड़ता है। सभी एग्जाम में लैपटॉप से ऑनलाइन देने की अनुमति मिलने पर राइटर की परेशानी ही खत्म हो जाएगी। उत्तराखंड जैसे प्रदेशों में अब ब्रेल लिपी इंट्रोड्यूस कर दी गई है। इसके साथ ही सीबीएसई में पेपर को हल करने के लिए अब कंप्यूटर यूज करने की परमिशन दे रहे है।

राइटर नियम में पिछले तीन सालों में कोई बदलाव नहीं किया गया। किसी ने निमयों पर ध्यान ही नहीं दिया। हालांकि किसी विशेष परिस्थिति में यूनिवर्सिटी प्रशासन दूसरे राइटर की परमिशन देता है।
- वीके गुप्ता, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, आरयू

एग्जाम में नकल की रोकथाम के लिए फ्लाइंग टीम चैकिंग के लिए आती है। टीम राइटर से हल किए गए सवालों के जवाब पूछकर दिव्यांग से कंफर्म करती है। इसके बाद भी दूसरे राइटर के लिए परमिशन देने में आरयू को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
- चेतन शर्मा, पूर्व सेक्रेटरी, राजस्थान नेत्रहीन कल्याण संघ

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